Jwala Mata Mandir Himachal Pradesh...
हमनें हमारे पुराने लेखों के माध्यम से शीला देवी मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर के बारें में विस्तृत रूप से जाना इसी क्रम को आगें बढ़ते हुए हम आज ज्वाला माता मन्दिर हिमाचल प्रदेश के बारें में विस्तृत रूप से जानेंगे तो आयें जानते हैं- माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वालादेवी का मंदिर भारतीय राज्य हिमाचल के कांगड़ा घाटी में स्थित हैं यहां माता की जीभ गिरी थी इसीलिए इसका नाम ज्वालादेवी मंदिर हैं।
Jwala Mata Mandir Himachal Pradesh ज्वाला माता मन्दिर हिमाचल प्रदेश...
Jwala Mata Mandir Himachal Pradesh: माता ज्वाला देवी शक्ति के 51 शक्तिपीठों मे से एक हैं यह धूमा देवी का स्थान बताया जाता हैं।विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, नैना देवी, चिंतापूर्णी शाकम्भरी शक्तिपीठ और वैष्णो माता की ही भांति यह एक सिद्ध मन्दिर हैं। यहाँ पर भगवती सती की महाजिह्वा भगवान विष्णु जी के सुदर्शन चक्र से कट कर गिरी थी । मन्दिर मेंं भगवती के दर्शन नौ ज्योति रूपों मे होते हैं जिनके नाम क्रमशः महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, हिंगलाज भवानी, विंध्यवासिनी,अन्नपूर्णा, चण्डी देवी, अंजना देवी और अम्बिका देवी हैं। उत्तर भारत की प्रसिद्ध नौ देवियों के दर्शन के दौरान चौथा दर्शन माँ ज्वाला देवी का ही होता हैं। आदि शंकराचार्य लिखित अष्टादश महाशक्तिपीठ स्तोत्र के अन्तर्गत हैं। स्तोत्र में ज्वाला देवी को वैष्णवी बोला हैं।
1. ज्वाला माता की पौराणिक कथा:-
Jwala Mata Mandir Himachal Pradesh: प्राचीन किंवदंतियों में ऐसे समय की बात आती हैं जब राक्षस हिमालय के पहाड़ों पर प्रभुत्व जमाते थे और देवताओं को परेशान करते थे। भगवान विष्णु के नेतृत्व में देवताओं ने उन्हें नष्ट करने का फैसला किया उन्होंने अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित किया और विशाल लपटें जमीन से उठ गईं उस आग से एक छोटी बच्ची ने जन्म लिया उसे आदिशक्ति-प्रथम 'शक्ति' माना जाता हैं। सती के रूप में जानी जाने वाली वह प्रजापति दक्ष के घर में पली-बढ़ी और बाद में भगवान शिव की पत्नी बन गई। एक बार उसके पिता ने भगवान शिव का अपमान किया सती को यह स्वीकार ना होने के कारण उसने खुद को हवन कुंड मे भस्म कर डाला जब भगवान शिव ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में सुना तो उनके गुस्से का कोई ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने सती के शरीर को पकड़कर तीनों लोकों मे भ्रमण करना शुरू किया-
अन्य देवता शिव के क्रोध के आगे कांप उठे और भगवान विष्णु से मदद मांगी भगवान विष्णु ने सती के शरीर को चक्र के वार से खंडित कर दिया जिन स्थानों पर ये टुकड़े गिरे उन स्थानों पर इक्यावन पवित्र 'शक्तिपीठ' अस्तित्व में आए "सती की जीभ ज्वालाजी (610 मीटर) पर गिरी थी और देवी छोटी लपटों के रूप में प्रकट हुई। ऐसा कहा जाता हैं कि सदियों पहले एक चरवाहे ने देखा कि अमुक पर्वत से ज्वाला निकल रही हैं और उसके बारे मे राजा भूमिचंद को बताया राजा को इस बात की जानकारी थी कि इस क्षेत्र में सती की जीभ गिरी थी राजा ने वहाँ भगवती का मंदिर बनवा दिया। ज्वाला माता मन्दिर युगों से एक तीर्थस्थल हैं मुगल बादशाह अकबर ने एक बार आग की लपटों को एक लोहे की चादर से ढँकने का प्रयास किया और यहाँ तक कि उन्हें पानी से भी बुझाना चाहा लेकिन ज्वाला की लपटों ने इन सभी प्रयासों को विफल कर दिया तब अकबर ने तीर्थस्थल पर एक स्वर्ण छत्र भेंट किया और क्षमा याचना की हालाँकि, देवी की सामने अभिमान भरे वचन बोलने के कारण देवी ने सोने के छत्र को एक विचित्र धातु में तब्दील कर दिया जो अभी भी अज्ञात हैं इस घटना के बाद देवी में उनका विश्वास और अधिक मजबूत हुआ आध्यात्मिक शांति के लिए हजारों तीर्थयात्री साल भर तीर्थ यात्रा पर जाते हैं शिलालेख से इसकी प्राचीनता का प्रमाण मिलता हैं यह मनोहर दासोत खंगरोतों की कुलदेवी हैं।
फ़िरोज़ शाह तुगलक रूढ़िवादी हो गया था और अपने शासनकाल के बाद के हिस्से में कट्टर हो गया था उन्होंने 1360 में जाजनगर के अभियान के दौरान पुरी जगन्नाथ मंदिर को नष्ट कर दिया नगरकोट के अभियान के दौरान कांगड़ा के ज्वाला माता मंदिर को नष्ट कर दिया गया था जो ज्वाला माता के आगे अपना शीश झुकाता हैं माता उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं जय ज्वाला माँ !
FAQ-
1.ज्वाला देवी की कहानी क्या हैं ?
सती के पिता प्रजापति ने सती के सामने शिव का अपमान किया सती को ये स्वीकार न हुआ और सती ने स्वयं को हवन कुण्ड में भस्म कर डाला जब भगवान शिव ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बारें में सुना तो उनके गुस्से का कोई ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने सती के शरीर को पकड़कर तीनों लोको में भ्रमण करना शुरू किया अन्य देवता शिव के क्रोध से कांप उठे और भगवान विष्णु से मदद मांगी उन्होंने सती के शरीर को चक्र से खंडित कर दिया जिन स्थानों पर ये टुकड़े गिरे उन स्थानों पर इक्यावन पवित्र शक्तिपीठ अस्तित्व में आयें माता सती की जीभ जहाँ गिरी वह स्थान ज्वाला माता कहलायां।
2.ज्वाला देवी के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं ?
वैज्ञानिक तथ्य: वैज्ञानिकों का मानना हैं कि ज्वाला जी मन्दिर के नीचे एक ज्वालामुखी हैं और उसे निकलने वाली प्राकृतिक गैस आग की लपटों के रूप में जल रही हैं जिसे सनातनी ज्वाला माता के रूप में पूजते हैं। 70 के दशक के दौरान भारत सरकार द्वारा वहां प्राकृतिक गैस के बड़े भंडारों की संभावनाएं तलाशने के लिए एक विदेशी कंपनी को नियुक्त किया गया था।
नोटः-'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं।
CONCLUSION:-आज हमनें हमारें लेंख- Jwala Mata Mandir Himachal Pradesh ज्वाला माता मन्दिर हिमाचल प्रदेश के माध्यम से जाना कि ये मन्दिर एक शक्तिपीठ हैं यहां मां सती की जीभ गिरी थी हमारे इस लेख को आपके द्वारा बहुत पसंद किया गया हैं इसके लिए धन्यवाद।
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