Sant Tiruvalluvar Ek Parichay...
आज हम हमारे लेख- Sant Tiruvalluvar Ek Parichay संत तिरुवल्लुवर एक परिचय के माध्यम से इस महान तमिल संत के बारे में अपने इस लेख के माध्यम से जानेंगे- दो हजार साल पहले "सदाचार" "सांसारिकता" और "नीति" ग्रंथों में संत तिरुवल्लुवर ने समझाया था कि इंसान को कैसे जीना चाहिए ? तमिल संत तिरुवल्लुवर ने समझाया था पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं संस्कार प्राप्त करना-
Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: दक्षिण भारत के कबीर...
Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: तिरूवल्लुवर एक महान तमिल कवि थे जिन्होंने तमिल साहित्य में नीति पर आधारित "ग्रंथ थिरूकुरल" का सृजन किया। उसे "पोयामोड़ी पुलवर" "थेवा पुलवर" और "वल्लुवर" जैसे अनेकों नामों से भी जाना जाता हैं। संत तिरुवल्लुवर ने लोगों को जीने की रहा दिखाते हुए छोटी छोटी कविताएं लिखी थीं। जिनको इकठ्ठा कर तिरूवल्लुवर ग्रंथ में लिखा गया हैं। तिरुवल्लुवर का जन्म मायलापुर तमिलनाडु में एक जुलाहा परिवार में हुआ था उनकी पत्नी का नाम वासुकी था वह एक धर्मपरायण स्त्री थी। शैव, वैष्णव, बौद्ध और जैन सहित हर मत धर्म वाले लोग तिरुवल्लुवर को मानते थे। जीवन के प्रति उनका मार्गदर्शन सभी धर्मों से परे हैं।
Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: उन्होंने सन्यास को महत्व नहीं दिया। तिरुवल्लुवर ने बताया कि- एक व्यक्ति गृहस्थ स्वामी का जीवन जीने के साथ साथ एक दिव्य जीवन जी सकता हैं। उनका कहने का तात्पर्य था कि- व्यक्ति को दिव्य जीवन जीने के लिए परिवार को छोड़ संन्यासी बनने की आवश्यकता नहीं। उनकी ज्ञान भरी शिक्षा और बातें अब एक पुस्तक के रूप में मौजूद हैं जिसे "तिरूक्कुरल" के रूप में जाना जाता हैं। पारंपरिक विवरण और उनके लेखन के भाषाई विश्लेषण के आधार पर उनकी जन्मतिथि को चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर पांचवीं शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ तक माना जाता हैं। तिरुवल्लुवर तमिल सभ्यता की एक सबसे श्रद्धेय प्राचीन कृति हैं। जैसे कि- अन्य सभ्यताओं में बाइबल, कुरान और गीता को माना जाता हैं। कुरल को दुनिया का आम विश्वास माना जाता हैं क्योंकि यह इन्सान को नैतिकता और जीवन में बेहतरी का रास्ता दिखलाता हैं। गीता, बाइबल और कुरान के बाद कुरल का सबसे अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया हैं। 1730 में तिरूक्कुरल का लैटिन अनुवाद "कोस्टांजो़ बेस्ची" द्वारा किया गया जिससे यूरोपीय बुध्दिजीवियों को उल्लेखनीय रूप से तमिल साहित्य के सोंदर्य और समृद्धि को जाननें में मदद मिली। नोट:- तिरूक्कुरल से तात्पर्य तिरू और कुरल दो शब्दों को जोड़ कर हुआ तिरू + कुरल= तिरूक्कुरल
Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: तिरूक्कुरल के तीन खण्ड हैं -1. अरम, विवेक और सम्मान के साथ साथ अच्छे नैतिक व्यवहार को बताया गया हैं। 2. पोरूल सांसारिक मामलों की सही ढंग से चर्चा की गई हैं। 3. इस अनुभाग में इनबम, पुरूष और महिला के बीच प्रेम संबंधों पर विचार किया गया हैं। नोट:- प्रथम खंड में 38 अध्याय हैं। दूसरे खंड में 70 अध्याय हैं और तीसरे खंड में 25 अध्याय हैं, प्रत्येक अध्याय में कुल 10 दोहे या कुरल हैं और कुल मिलाकर कृति में 1330 दोहे हैं।
Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: आप लोग कभी कन्याकुमारी गयें हैं तो आपने कन्याकुमारी मंदिर के निकट से सन राइज देखा होगा तो आपको तिरूवल्लुवर की प्रतिमा दिखाई देती होगी। जहां अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर मिलते हैं कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक के निकट छोटे चट्टानी द्वीप पर संत तिरुवल्लुवर की 133 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई हैं। इस स्टेच्यु की वास्तविक उंचाई तो 95 फीट हैं किन्तु ये 38 फीट ऊंचे मंच पर हैं। सन् 1979 में इस स्मारक के लिए उस वक्त के प्रधानमंत्री स्वर्गीय. मोरारजी देसाई ने आधारशिला रखी थी लेकिन इसका काम शुरू न हो सका सन् 2000 में ये स्मारक सभी के लिए खोला गया। 133 फुट तिरूक्कुरल के 133 अध्यायों का प्रतिनिधित्व करतें हैं और उनकी तीन अंगुलियां "अरम" "पोरूल" और "इनबम" नामक तीन विषय अर्थात- "नैतिकता" "धन" "प्रेम" के अर्थ को इंगित करती हैं।
नोटः- 'इस लेख में दी गई जानकारी, सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं हैं। सूचना के विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना हैं पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
CONCLUSION-आज हमनें हमारें लेंख- Sant Tiruvalluvar Ek Parichay: संत तिरुवल्लुवर एक परिचय के माध्यम से आपको दक्षिण के एक महान संत तिरुवल्लुवर के बारे में विस्तृत रूप से बताया आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आयेगा और संत तिरुवल्लुवर के बारे में आपकी जानकारी में इजाफा होगा धन्यवाद।
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